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डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों से जुड़ी पोर्नोग्राफी के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और देखना पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट के तहत अपराध है।
हालांकि, यदि कोई आपको सोशल मीडिया पर चाइल्ड पोर्न संबंधित सामग्री भेजता है, तो यह अपराध नहीं है, लेकिन अगर आप इसे देखते हैं और दूसरों को भेजते हैं, तो यह अपराध के दायरे में आता है।
केरल उच्च न्यायालय का आदेश पलटा—
इस फैसले से पहले, केरल उच्च न्यायालय ने कहा था कि चाइल्ड पोर्नोग्राफिक को एक्सीडेंटली डाउनलोड करना या फिर अपनी मर्जी से डाउनलोड करना अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया है और स्पष्ट किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में क्या अपराध है और क्या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अब न्यायलय बाल पोर्नोग्राफी शब्द का उपयोग नहीं करेंगे।
इस मामले में एनजीओ जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन अलायंस द्वारा केरल उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि निजी तौर पर चिल्ड्रन पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है।
