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कुशीनगर
(सेमिनार)
सरस्वती देवी महाविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग ने स्वच्छता पखवाड़ा के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार का विषय “महात्मा गांधी का स्वच्छता दर्शन “ था, जिसमें उनके स्वच्छता संबंधी विचारों पर चर्चा की गई।
शुभारंभ—
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन से हुआ। इसके पश्चात छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। विषय प्रवर्तन उप प्राचार्य डॉ गौरव त्रिपाठी ने किया।

मुख्य वक्ता डा गोपाल सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि महात्मा गांधी स्वच्छता को व्यक्तित्व निर्माण और राष्ट्र की उन्नति के लिए आवश्यक मानते थे। उन्होंने कहा कि गंदगी सबसे बड़ी हिंसा है और स्वच्छता पवित्रता और प्रगति का परिचय देती है। डॉ सिंह ने आगे कहा कि लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधन की पवित्रता भी होनी चाहिए।

महाविद्यालय के प्राचार्य दीपक मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी स्वच्छता को स्वस्थ मनोदशा और स्वस्थ चरित्र के विकास के लिए आवश्यक मानते थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के शब्दों में “यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है, तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है। और यदि वह स्वस्थ नहीं है, तो वह स्वस्थ मनोदशा के साथ नहीं रह पाएगा। स्वस्थ मनोदशा से ही स्वस्थ चरित्र का विकास होगा।”

प्रवक्ता आशुतोष तिवारी आशुतोष तिवारी ने छात्रों को स्वच्छता शपथ दिलाई और स्वच्छता पखवाड़ा के उद्देश्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता ही सेवा की अवधारणा को स्पष्ट करने के लिए यह सेमिनार आयोजित किया गया है।

मौजूद रहे—
सेमिनार में प्रमुख रूप से विभा सिंह, बबिता जायसवाल, नवीन मिश्र, सुनील मिश्र, राकेश गोंड, उपेश राव आदि उपस्थित रहे। सेमिनार का संचालन शिवम पाण्डेय ने किया।
बाबा की रिपोर्ट——
