जहां एक तरफ ओलंपिक को लेकर पूरे विश्व में चर्चा है भारत में जो भी खिलाड़ी मेडल ला रहे हैं पूरा देश उन्हें सम्मानित कर रहा है वही कुशीनगर में अपने सीमित संसाधन में तैराकी के क्षेत्र में अति सामान्य घरों के लड़के भी अपनी प्रतिभा से सरकारी नौकरियों में अपनी जगह बना पा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं हाटा विकासखंड के रधिया देवरिया की जहां पर अति सामान्य घरों के बच्चे एक छोटे से तालाब में तैराकी की प्रैक्टिस करते हैं और लखनऊ या प्रदेश के अन्य जगहों पर तैराकी प्रतियोगिता में भाग लेकर मेडल लाकर अपने गांव और क्षेत्र में चर्चा का विषय बनते हैं। रधिया देवरिया से अब तक लगभग 75 से 80 लोग विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी पा चुके हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार यह तालाब मूलभूत आवश्यकता से वंचित है।

तैराकी में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना कोई राधिया देवरिया से सीखे क्योंकि बिना किसी संसाधन के केवल गांव के तालाब में तैराकी की प्रैक्टिस कर देश के विभिन्न संस्थाओं रेलवे मिलिट्री एस एस बी यहां तक की बीएचयू में भी इस तालाब से प्रैक्टिस कर तैराकी के दम पर सैकड़ो बच्चों ने सरकारी सेवा प्राप्त की है ।गांव के इन नौनीहालों को देखने के बाद यह लगता है कि सरकार भी अगर इस तरफ ध्यान दें तो आने वाले दिनों में नेशनल इंटरनेशनल ओलंपिक से तैराकी में मेडल की भरमार लग सकती है ।राधिका देवरिया के आसपास के 7 किलोमीटर से जुड़े गांव के सामान्य घरों के बच्चे यहां अपने कोच से बिना पैसे के तैराकी का गुण सीखते हैं और अपने भविष्य को सुरक्षित करने का काम करते हैं । कोच रंजीत शर्मा का कहना है कि यहां बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है कमी है तो संसाधनों की अगर वह पूरा कर दिया जाए तो यह बच्चे ओलंपिक से भी मेडल ले आने में सक्षम है। दूसरे कोच रंजीत शर्मा है जो की खुद ही तैराकी में नेशनल तक जा चुके हैं ।ऐसे में अब जनप्रतिनिधि और प्रशासन की नजर कब इन ऊर्जावान ग्रामीण खिलाड़ियों की तरफ पड़ती है जिससे कि इन बच्चों को तैराकी कर अपने लक्ष्य को परिलक्षित करने में सुविधा मिल सके।

