2030 तक प्रदेश के हरित आवरण को 15 प्रतिशत तक ले जाना है और यह लक्ष्य तभी सफल होगा, जब वृक्षारोपण जनांदोलन का स्वरूप ले।
Newsalert9 (कुशीनगर)
बाबा की रिपोर्ट —
जिलाधिकारी महेंद्र सिंह तंवर ने ग्रीन चौपाल के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। ग्रीन चौपाल का उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली को अपनाने, कृषि वानिकी के सतत् कृषि-वन मॉडल को प्रोत्साहित करने और पारम्परिक पर्यावरणीय ज्ञान को पुर्नस्थापित करना है।

आयोजन की आवृत्ति और तिथि
प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रत्येक माह के तृतीय शुक्रवार को अनिवार्य रूप से ग्राम चौपाल के साथ ग्रीन चौपाल आयोजित किया जाएगा। तृतीय शुक्रवार को कोई राजकीय अवकाश होने की स्थिति में यह चौपाल अगले कार्यदिवस में आयोजित की जाएगी।
ग्रीन चौपाल के उद्देश्य
ग्रीन चौपाल के उद्देश्यों में सतत् विकास की अवधारणा के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाना, वन, वन्य जीव एवं पर्यावरण संरक्षण में जनमानस की सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करना और ग्रामीण स्तर पर परंपरागत टिकाऊ पर्यावरण प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
ग्रीन चौपाल की संरचना
ग्रीन चौपाल की संरचना में ग्राम प्रधान, सेक्शन/बीट अधिकारी, ग्राम पंचायत सचिव, तीन ग्राम पंचायत सदस्य, स्वयं सहायता समूह की एक महिला प्रतिनिधि, प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक, आंगनवाडी सहायिका, रोजगार सेवक, प्रगतिशील कृषक, पर्यावरणविद/स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि, जैव विविधता प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि और स्थानीय विभागों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
दायित्व और क्रियान्वयन
ग्रीन चौपाल के दायित्वों में पौधरोपण हेतु ग्राम पंचायतवार माईकोप्लान निरूपण और क्रियान्वयन में सक्रिय सहभागिता, ग्राम पंचायत में हरीतिमा विकास हेतु उपलब्ध रिक्त भूमि पर स्थानीय प्रजाति का रोपण और अनुश्रवण शामिल है। ग्रीन चौपाल प्रत्येक माह में कम से कम एक बैठक अनिवार्य रूप से करेगी और योजनाओं के प्रचार-प्रसार हेतु सम्बन्धित विभाग के अभिज्ञ अधिकारियों को प्रचलित योजनाओं की जानकारी देने हेतु समय-समय पर आमंत्रित किया जाएगा।
अनुश्रवण
ग्रीन चौपाल के कार्यों से सम्बन्धित विवरण का संकलन जिला पंचायत राज अधिकारी द्वारा किया जाएगा और जनपद स्तर पर प्रत्येक माह आयोजित होने वाली जिला वृक्षारोपण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। प्रभागीय वनाधिकारी द्वारा ग्रीन चौपाल के संचालन हेतु आवश्यकतानुसार समन्वयन स्थापित किया जाएगा।
बाबा की रिपोर्ट —-
