डीजे का तीव्र शोर बना रहा विमार!!! जान तक चली जा रही है। जनमानस को करना होगा मंथन ।!

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डेंजर डीजे —-

Newsalert9( कुशीनगर )

बाबा की रिपोर्ट —

नगर में निकली डोल यात्रा एवं डोल विसर्जन यात्रा के समय बड़े बड़े साउंड बाक्स लगाकर डीजे बजाया जा रहा था। इससे लोगों को काफी परेशानी हुई, खासकर बुजुर्ग और मरीजों को। डीजे के तीव्र आवाज से प्रसिद्ध किसान भैसहा/खडडा निवासी होशिला सिंह की तबियत अचानक बिगड़ गई और उनका निधन हो गया।

शोर के लिए क्या कहता है कानून

भारतीय कानून के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 के तहत, विभिन्न क्षेत्रों में ध्वनि के स्तर के लिए निर्धारित मानक हैं। इन नियमों के अनुसार, दिन के समय में आवासीय क्षेत्रों में 55 डेसिबल और रात के समय में 45 डेसिबल से अधिक ध्वनि नहीं होनी चाहिए। इसके बावजूद, डीजे के शोर  लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।

लोगों की परेशानी बढ़ी /करनी होगी शोर मुक्त त्योहारों की पहल —

डीजे के तेज आवाज दिल के मरीज और बुजुर्गों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। यह केवल एक समुदाय नहीं बल्कि सभी में हो रहा है। इस समस्या को धर्म के चश्मे से देखना बंद करना होगा। ऐसा वातावरण तैयार करने की पहल करनी होगी जिसमें बजने वाले धार्मिक गीत व नारे कर्णप्रीय हों।किसी को कान न बंद करनी पड़े। समिति से जुड़े युवाओं को इसके लिए आगे आकर शोर मुक्त त्योहार की एक अच्छी पहल शुरू करनी होगी । 

अब तो यह प्रचलन बढ गया है कि किसी भी धर्म के कार्यक्रम में डीजे के तेज आवाज से उसके प्रभावी दमदार होने का आकलन किया जाता है। जोश व जूनून के इस बेमेल कृत्य से धर्म व त्योहारों का असली मकसद गुम होता जा रहा है।

शोर से हार्ट अटैक ब्रेन हैमरेज का खतरा—

डीजे की तेज आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो निम्नलिखित समस्याओं का कारण बनता है:कानों में दर्द, बहरापन, कान की बीमारियां, श्रवण क्षमता का कम होना। मनोवैज्ञानिक तनाव, चिंता, अवसाद, नींद न आना, ध्यान न लगना, याददाश्त कमजोर होना। हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, अस्थमा, श्वसन तंत्र की बीमारियां।

बाबा की रिपोर्ट —

News Alert 9
Author: News Alert 9

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