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कुशीनगर
जानिए संक्षेप में नाथ संप्रदाय के विषय में जिसके महंत हैं योगी आदित्यनाथ– —
नाथ संप्रदाय एक प्राचीन भारतीय धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा है, जो हिंदू धर्म के भीतर एक विशिष्ट संप्रदाय के रूप में विकसित हुई। यह संप्रदाय भगवान शिव की पूजा और उनके अवतारों को मानने वालों का समूह है।
उत्पत्ति समय —
नाथ संप्रदाय की उत्पत्ति और इतिहास के बारे में विभिन्न मतभेद हैं, लेकिन यह माना जाता है कि यह संप्रदाय 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच विकसित हुआ।
मुख्य सिद्धांत
- भगवान शिव की पूजा
- योग और ध्यान
- तंत्रिक पूजा
- गुरु-शिष्य परंपरा
- सामाजिक समानता
दंडाधिकारी की जिम्मेदारी—–
नाथ संप्रदाय में दंडाधिकारी एक महत्वपूर्ण पद है, जो संप्रदाय के नियमों और अनुशासन को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है।
भूमिका—-
- नियमों का पालन सुनिश्चित करना
- अनुशासन बनाए रखना
- विवाद समाधान करना
- न्याय सुनिश्चित करना
- अपराधियों को दंडित करना
दंडाधिकारी के रूप में महंत आदित्यनाथ अपनी निम्न भूमिका निभाते हैं —

नाथ संप्रदाय के महंत योगी आदित्यनाथ दशहरा के दिन दंडाधिकारी बनकर सदस्यों के विवादों का निपटारा करते हैं और दोषी को दंड भी देते हैं।
क्या है दंड के नियम—
- चेतावनी
- जुर्माना
- संप्रदाय से निलंबन
- संप्रदाय से बहिष्कार
- अन्य धार्मिक दंड
प्रमुख गुरु—
- मच्छिंद्रनाथ
- गोरखनाथ
- मत्स्येंद्रनाथ
- जलंधरनाथ
- कानिफनाथ
संप्रदाय का प्रभाव—-
नाथ संप्रदाय का प्रभाव भारतीय संस्कृति और धर्म पर बहुत बड़ा है। इस संप्रदाय ने भारतीय दर्शन, साहित्य, कला और संस्कृति को बहुत प्रभावित किया है।
बाबा की रिपोर्ट—